आज यानी 21 मार्च को विश्व कविता दिवस (#WorldPoetryDay) के तौर पर मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने प्रति वर्ष 21 मार्च को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाने का फैसला किया. यूनेस्को ने 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी.
तो चलिए, आज हम इस #WorldPoetryDay पर आपको पांच ऐसी कविताएं पढ़वाते हैं, जिन्हें पढ़कर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे.
1- सुमित्रानंदन पंत
वियोगी होगा पहला कवि,
आह से उपजा होगा गान
निकलकर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अंजान
2- भवानी प्रसाद मिश्र
मुझे पंछी बनाना अबके
या मछली
या कली
और बनाना ही हो आदमी
तो किसी ऐसे ग्रह पर
जहां यहां से बेहतर आदमी हो
कमी और चाहे जिस तरह की हो
पारस्परिकता की न हो !
3- विनोद कुमार शुक्ल
जाते जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
जाते जाते जाया जा सकेगा उस पार
जाकर ही वहां पहुंचा जा सकेगा
जो बहुत दूर संभव है
पहुंच कर संभव होगा
जाते जाते छूटता रहेगा पीछे
जाते जाते बचा रहेगा आगे
जाते जाते कुछ भी नहीं बचेगा जब
तब सब कुछ पीछे बचा रहेगा
और कुछ भी नहीं में
सब कुछ होना बचा रहेगा.
4- मुक्तिबोध
यह सही है कि चिलचिला रहे फासले,
तेज दुपहर भूरी
सब ओर गरम धार-सा रेंगता चला
काल बांका-तिरछा;
पर, हाथ तुम्हारे में जब भी मित्र का हाथ
फैलेगी बरगद छांह वहीं
गहरी-गहरी सपनीली-सी
जिसमें खुलकर सामने दिखेगी उरस-स्पृशा
स्वर्गीय उषा
लाखों आँखों से, गहरी अन्तःकरण तृषा
तुमको निहारती बैठेगी
आत्मीय और इतनी प्रसन्न,
मानव के प्रति, मानव के
जी की पुकार जितनी अनन्य!
5- केदारनाथ सिंह
उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए.