फेक न्यूज को लेकर स्मृति ईरानी के मंत्रालय ने एक फैसला लिया था. फैसला था कि अगर कोई पत्रकार फेक न्यूज देता या उसे प्रचारित करता पाया गया तो उसकी मान्यता हमेशा के लिए रद्द हो जाएगी.
मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए संशोधित दिशानिर्देशों में यह व्यवस्था की गई है. सरकार की ओर से कहा गया है कि पहली बार फेक न्यूज के प्रकाशन अथवा प्रसारण की पुष्टि होने पर मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता छह माह के लिए निलंबित की जाएगी. दूसरी बार ऐसा होने पर यह कार्रवाई एक साल के लिए होगी. लेकिन तीसरी गलती पर मान्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाएगी.
#FLASH: Prime Minister has directed that the press release regarding fake news be withdrawn and the matter should only be addressed in Press Council of India. pic.twitter.com/KVUBeAoDhC
— ANI (@ANI) April 3, 2018
सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन पर विपक्षी दलों और प्रेस काउंसिल ने ऐतराज जताया था. विपक्षी नेताओं ने इस पूरे फैसले की निंदा करते हुए कहा था कि यह प्रेस की आजादी पर बहुत बड़ा खतरा है. उन्होंने सेंसरशिप को गलत बताया था.
इस मामले पे कोई हंगामा होता उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस फैसले को बदल दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने आईबी को निर्देश दिया और कहा है कि अब इस मामले में हर निर्णय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ही लिया जाएगा. काउंसिल ही बताएगा की प्रसारित खबर फेक है या नहीं. पीएमओ ने कहा है कि फेक न्यूज का पूरा मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, प्रिंट मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की शिकायत को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित शिकायत को न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) को भेजा जाएगा.
ये दोनों संस्थाएं ही तय करेंगी कि जिस खबर के बारे में शिकायत की गई है, वह फेक न्यूज है या नहीं. दोनों को यह जांच 15 दिन में पूरी करनी होगी. एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी.