आज हनुमान जयंती है. पूरी दुनिया में हनुमान जी का गुणगान हो रहा है. लेकिन एक ऐसा भी गांव है जहां उनका नाम भी नहीं लिया जाता. गांव का नाम है द्रोणागिरी. ये गांव उत्तराखंड राज्य के चमोली जिला के जोशीमठ विकासखंड में आता है.
यहां के लोग हजारों सालों से हनुमान से नफरत करते हैं और हनुमान का नाम लेना भी पाप समझते हैं. जब गांव के लोगों से पूछा गया की हनुमान लला से इतनी नफरत क्यों उन्होंने क्या बिगाड़ा है?
तो इस पर गांव वालों का कहना था कि कई हजार साल पहले हनुमान ने उनके पूर्वजों की बात न मानकर उन्हें नाराज कर दिया था. वो इसके पिछे एक कहानी सुनाते हैं. आप भी सुनिए…
बात सतयुग कि है. मतलब रामायण का दौर था. रावण मां सीता को किडनैप कर के लंका ले गया था. राम भी पता ढूंढते-ढूंढते लंका पहुंच गए. वहां गए तो लड़ाई शुरू हो गई. एक दिन राम और रावण के बीच महायुद्ध चल रहा था. तभी रावण के बड़े बेटे यानी मेघनाद ने लक्ष्मण को तीर मार दिया. तीर से लक्ष्मण घायल होकर गीर पड़े. राम जी लक्ष्मण को लेकर डाक्टर साहब के पास गए. (उस काल में डाक्टरों को वैद्य कहा जाता था).
लक्ष्मण को वैद्य ने देखा. कुछ देर तक देखने के बाद बोला ये तो ICU केस है. इसके लिए आपको जल्द से जल्द संजीवनी बूटी का इंतजाम करने पड़ेगा. मरीज के पास वक्त बहुत कम है. अगर बूटी का इंतजाम जल्दी नहीं हुआ तो…..
ये सुनने के बाद राम जी भभक-भभक कर रोने लगे. राम जी की रोता देख हनुमान जी संजीवनी बूटी की खोज में निकल गए. हनुमान जी पूरी दुनिया का चक्कर लगा लिए संजीवनी बूटी कहीं नहीं मिली.
फिर हनुमान जी किसी से पूछे. उसने बताया की आपको संजीवनी बूटी केवल द्रोणागिरी पर्वत पर मिलेगी. हनुमान द्रोणागिरी पर्वत पर गए. पर्वत पर बहुत सी बूटीयां था. हनुमान जी समझ ही नहीं आया इनमे से संजीवनी बूटी कौन सी है.फिर क्या हनुमान जी तो ठहरे हनुमान जी संजीवनी बूटी ढूंढ़ने के बजाय पूरा पहाड़ ही उखाड़ लिया.
तब से गांव के लोग हनुमान जी से नाराज रहने लगे. तब से न तो इस गांव में कोई हनुमान जी की पूजा करता है और न ही कोई उनका नाम लेता है। यहां के लोग हर साल द्रोणागिरी की पूजा करते हैं.
खैर आप हनुमान जी ये मंत्र जपिए सारी इच्छाएं पूरी हो जाएगी. हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनायें
आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर!
त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात!!