हिंदुयों के कई प्रमुख त्यौहारों मे से एक महाशिवरात्रि, जिसे पूरे भारत वर्ष में बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. शिवरात्रि का पर्व भगवान भोले नाथ को समर्पित है. वैसे तो वर्ष में 12 शिवरात्रियां आती हैं, लेकिन इन सभी में फाल्गुन की महा शिवरात्रि सबसे प्रमुख है. माना जाता है कि, इसी दिन सृष्टि की रचना हुई थी, तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि, इसी खास दिन भगवान भोले शंकर और मां पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था.
महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में आज हम आपको भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताने जा रहे हैं, भारत में ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव, इन स्थानों पर अवतरित हुए थे और शिवलिंग के रूप में विद्मान हो गए थे. जो भी व्यक्ति इन 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा कर लेता है उसे जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के निवास स्थान हिमालय के बीच स्थित केदारनाथ तीर्थस्थल भारत के सुदूर उत्तर का ज्योतिर्लिंग है. इस तीर्थस्थल की विरासत बेहद समृद्ध है और यहां सिर्फ चल कर ही पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा यह आम लोगों के लिए साल में सिर्फ 6 महीने ही खुला रहता है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग भारत का एकमात्र ‘स्वंभू’ ज्योतिर्लिंग है, यानी यह यहां पर स्वत: प्रकट हुआ था. इस तीर्थस्थल में एक श्री यंत्रा भी है जो गर्भगृह में उल्टी अवस्था में स्थापित है. यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है
त्रिम्बाकेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के नासिक जिले के पास स्थित त्रिम्बाकेश्वर तीर्थस्थल एक और महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है. इसकी खासियत यह है कि यहां के लिंग में तीन देवता भगवान ब्राह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रूद्र देखने को मिलते हैं.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ मंदिर को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. ज्यादातर श्रद्धालू जो 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन की योजना बनाते हैं, वे सोमनाथ से ही शुरुआत करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को 16 बार ध्वस्त कर के फिर से बनाया गया.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है. जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है. ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है. इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है. यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
आंध्रप्रदेश के श्रीसैलम में स्थित मल्लिकार्जुन तीर्थस्थल में ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ शक्तिपीठ भी है. इसके अलावा इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय बनावट भी शानदार है और यहां बड़ी संख्या में मूर्तियां देखी जा सकती है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
गुजरात स्थित द्वारका से 17 मील दूर यह ज्योतिर्लिंग अवस्थित है. कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है.कहा जाता है, जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
तामिलनाडू भगवान रामनाथस्वामी को समर्पित रामलिंगेश्वर तीर्थस्थल सुदूर दक्षिण का ज्योतिर्लिंग है. यहां भगवान राम के स्तंभ भी देखे जा सकते हैं. इस तीर्थस्थल के आसपास और भी कई मंदिर हैं, जो अलग-अलग देवताओं को समर्पित है.
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगों
झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ तीर्थस्थल भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस तीर्थस्थल के परिसर में कुल 21 मंदिर हैं, जिनमें से मुख्य मंदिर वैद्यनाथ को समर्पित है. हिंदू मास श्रावण के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
काशी विश्वनाथ
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है. काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है. इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है. इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा. इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर तीर्थस्थल महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है. हरे जंगलों से घिरा यह तीर्थस्थल बेहद खूबसूरत भी है. यह तीर्थ स्थल भीमा नदी और शहयाद्री पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है.
घृष्णेश्वर मन्दिर
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है. इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है. बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं. यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है.